उसके साथ यारी कभी मत लगाइए|जिसे अपने आप पर गुरूर होए|माँ-बाप को बुरा कभी मत कहीए,चाहे लाख उनका कसुर होए||बुरे रस्ते कभी न जाइए,चाहे मंजिल कितनी दुर होए||बुल्लेशाह, मुहब्बत दिल से वहाँ लगाइए,जहाँ प्यार मिलने का दस्तुर होए|
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